राजस्थान में स्थित श्री नाकोड़ाजी ,श्री खाटू श्यामजी एवं श्री सांवलियाजी स्थलों की यात्रा -
1 -श्री नाकोड़ाजी:-
श्री नाकोड़ाजी तीर्थ बाड़मेर जिला राजस्थान (भारत ) में स्थित है।सैकड़ो हजारो तीर्थयात्री प्रतिदिन
भारत के हर कोने से आते हैं।श्री जैन श्वेताम्बर नाकोड़ा पार्श्वनाथ तीर्थ जैनीयो का पवित्र तीर्थ हैं।
पद्मासन मुद्रा में श्री पार्श्वनाथजी की लगभग 58 सेमी ऊंची काले रंग की मूर्ति हैं। नाकोड़ाजी चमत्कारों
के लिए प्रसिद्ध हैं।श्री नाकोड़ाजी तीर्थयात्रा अपनी चमत्कारी खतरे से बचाने वाली शक्ति के कारण
जनता के लिए पूजा का केंद्र हैं। जोधपुर से इस तीर्थ स्थल की दूरी 110 KM ,बाड़मेर से 110 KM
,बालोतरा से 13 KM ,उदयपुर से 300 KM ,सिरोही से 180 KM हैं।
आम जनता यह मानती हैं कि 'प्रसाद' (मिठाई ,फल आदि प्रसाद ) यहां तीर्थयात्रा के परिसर में वितरित
किया जाना चाहिए।प्रसाद घर नहीं ले जाते हैं। यहाँ पौष कृष्ण दशमी को बड़ा मेला आयोजित होता
हैं। नाकोड़ा ट्रस्ट की और से ऑनलाइन Accomodation बुकिंग की व्यवस्था है। अग्रिम आरक्षण
आने की तारीख से तीन माह पूर्व चालू होकर आने के 7 दिन पूर्व बंद हो जाता हैं। इसके आलावा
ठहरने की ओर भी कई होटल हैं। इस तीर्थ ने अनेक बार उत्थान एवं पतन का सामना किया
विध्वसात्मकवर्ती से वि स 1500 से पूर्व इस क्षेत्र के कई स्थानों को नष्ट किया गया लेकिन संवत 1503
की प्रतिष्ठा के पश्चात् पुन: यहां प्रगति हुई और वर्तमान में तीन मंदिरो के पश्चात क्षत्रिय राजा के कुंवर
द्वारा यहां के प्रमुख महाजन परिवार के साथ कीये गये अपमानजनक व्यवहार से पीड़ित हो कर समस्त
जैन समाज ने इस नगर का परित्याग कर दिया इससे इसकी कीर्ति में कमी के साथ यह स्थान सुनसान
हो गया। संवत1959-60 में साध्वी प्रवर्तिनी श्री सुन्दर श्रीजी म सा ने इस तीर्थ के पुनरोद्धन का कार्य
प्रारम्भ कराया और गुरु भ्राता आचार्य श्री हिमाचलसूरीजी उनके साथ जुड़ गये। इनके प्रयासों से आज
प्रारम्भ कराया और गुरु भ्राता आचार्य श्री हिमाचलसूरीजी उनके साथ जुड़ गये। इनके प्रयासों से आज
यह तीर्थ विकास के पथ पर अग्रसर हैं। इस तीर्थ ने विश्व में ख्याति प्राप्त कर चुका हैं। यहां पार्श्वनाथ
मदिर के आलावा प्रथम तीर्थकंर परमात्मा आदिनाथ एवं सोलहवे तीर्थकंरश्री शान्तिनाथजी के
नयनाभिराम जिनालय यहां है। तीनो मंदिर वास्तुकला के सुन्दर नमूने हैं। मूर्तिपूजक परम्परा के सभी
समुदायों मध्य पूण समन्वय आदर्श रूप में देखने को मिलेगा।
2-श्री खाटू श्यामजी:-
महाभारत काल में पांडव महाबली भीम के पोत्र और घटोत्कच और मोर्वी के पुत्र वीर बर्बरीक ने जब कुरुक्षेत्र के युद्ध में कोरवो का साथ देने का वादा किया बर्बरीक की माँ मोर्वी से तब भगवन श्री कृष्ण ने वीर बर्बरीक से उनका शीश दान में मांग लिया तब वीर बर्बरीक ने ख़ुशी ख़ुशी अपना शीश दान में दे दिया अगर भगवान श्री कृष्ण यह बलिदान नहीं मांगते तो कौरव आसानी से युद्ध जीत जाते।भगवान श्री कृष्ण ने इस बलिदान से खुश होकर मोर्वी के पुत्र वीर बर्बरीक को यह वरदान दिया कीकलयुग में भी तुम्हे मेरे नाम 'श्याम' के नाम से घर घर पूजे जाओगे और तुम सबकी कामना पूर्ण करोगे। तुम हारे भक्तो को अपने दरबार खाटू में जीत दिलवाओगे। देश विदेश से भक्त बाबा के दरबार में अपनी मनोकामनाए ले कर खाटू धाम आते हैं। यह स्थान जयपुर से 80 KM दूर है।
दर्शन का समय -
शीतकालीन :-सुबह 6.00AM बजे से दोपहर 12.30PM तक एवं शाम 5.30PM से 8.45PM
ग्रीष्मकाल :सुबह5.45 से 12.00 एवं शाम 6.00PM से रात 9.00PM तक
मगंला आरती : शीतकालीन सुबह6 बजे शुरू होती हैं ,ग्रीष्मकाल :सुबह 5.45 पर
शृंगार :शीतकालीन सुबह 8 बजे शुरू होती हैं ,ग्रीष्मकाल :सुबह 7.45 पर
भोग आरती :शीतकालीन 11.30 AM बजे शुरू होती हैं ,ग्रीष्मकाल :11.30AM पर
संध्या आरती :शीतकालीन 18.15PM बजे शुरू होती हैं ,ग्रीष्मकाल :19.45PM पर
शायन आरती जब मंदिर बंद होता हैं :शीतकालीन 20.15 PM बजे शुरू होती हैं ,ग्रीष्मकाल :21.00 PM पर
ग्यारस पर खाटू श्याम जी में काफी हलचल रहती है।