भारत के अमीर मंदिर-
1 पद्मनाभस्वामी मंदिर -


पद्मनाभस्वामी मंदिर भारत के सब मंदिरो में सबसे ज्यादा अमीर मंदिर है। यह मंदिर भारत के दक्षिण भाग त्रिवेंद्रम केरल राज्य में स्थित हैं। यहाँ भगवान श्री विष्णु शेषनाग पर श्यन अवस्था में हैं जिसके दर्शन को भारत एवं विदेशो से लोग आते हैं। यहाँ समुद्र बिच का आनंद ले सकते हैं। यहाँ बच्चे जूह का आनंद लेंगे। यह केरला की राजधानी हैं। इसे तिरुवनंतपुरम के नाम से भी जाना जाता हैं। कोवलम बिच (beach ) अच्छा पर्यटक स्थल हैं। यहाँ होटल बिच के पास हैं। समुन्द्र देखने के लिए होटल में ऊपर के कमरों में ठहरे ताकि समुन्द्र का आनंद ले सके। मंदिर में ड्रेस कोड लागु हैं। दक्षिण के अधिकतर मंदिरो में ड्रेस कोड लागु हैं। सफेद कलर की लुंगी टाइप की धोती एवं महिला को साड़ी पहनकर ही प्रवेश दिया जाता हैं।शाकाहारियों को खाने का रेस्टोरेंट मालुम करना होता हैं। लाइट हाउस हैं यहाँ टिकट लगता हैं। यहाँ से कोवलम बिच पुरा दिखाई देता हैं।
2 तिरुमला तिरुपति मंदिर -
चित्तूर जिले में सात तिरुमला पहाड़ियों पर स्थित वैकेटश्वर विष्णु का अवतार माने जाते हैं। Link
3 जगन्नाथ मंदिर पुरी-
हिन्दू मंदिर श्री कृष्ण भगवान जगन्नाथ जो जगत के स्वामी उड़ीसा वैष्णव सम्प्रदाय का मंदिर हैं। दान से मिली राशि को व्यवस्था एवं सामाजिक कार्य पर खर्च की जाती हैं।Link
4 साई बाबा मंदिर शिरडी-
श्री साई के माता पिता कौन थे इसका पता नहीं हैं। साई नाम शिरडी आने पर दिया गया। Link
events in October 2018

events in October 2018
5 श्री सिद्धिविनायक-


श्री सिद्धिविनायक मंदिर मुंबई महाराष्ट्र में दादर स्टेशन से 4 KM दूर प्रभादेवी इलाके में हैं जिन गणेश प्रतिमाओ की सूंड दाई ओर मुड़ी होती है वे सिद्धिविनायक गणपति कहलाते हैं। इस मंदिर की महाराष्ट्र में बहुत मान्यता हैं। वे जल्दी प्रसन्न और नाराज होने वाले गणपतिजी हैं।इस मंदिर की गिनती धनवान मंदिर के रूप होती हैं। यह मंदिर 200 वर्ष पुराना हैं। परन्तु इसे अब नया रूप दे दिया गया हैं। भक्तो के दान से यहाँ सुविधा काफी हो गई हैं। मुंबई एवं आसपास के लोग इस मंदिर का दर्शन लाभ करते रहते हैं। चार धाम के यात्री एवं मुंबई आने वाले पर्यटक इस मंदिर का लाभ पाते हैं। मंगलवार को भीड़ अधिक रहती हैं। ऐसी मान्यता हैं कि यहाँ मांगी गई इच्छा अवश्य पूर्ण होती हैं। श्री सिद्धिविनायक मंदिरके के प्रागण में एक सुन्दर बड़ा चाँदी का मुसक हैं। लोग इसके कान में अपनी इच्छाऐ कहते हैं। यहाँ गणपतिजी की मूर्ति चतुरमुखी बनाई गई हैं एवं रिद्धि सिद्धि को कंधों के पास स्थापित किया गया हैं। यहाँ मुसक भी बहुत हैं क्योकि इन्हे भक्तो ने चढ़ाये हैं। अब यह मंदिर का विस्तार पांच मंजिला हो गया हैं। मूल गर्भग्रह को छुआ तक नहीं गया उसकी पवित्रता को बनाये रखा गया हैं। गर्भग्रह के तीन द्वार ही जिनसे दर्शनार्थी आते जाते हैं। मूर्ति के सामने एक बड़ा सभा हॉल हैं जिसमे भक्तगण बैठ कर अराधना करते हैं। मदिर के चारो और कई दुकाने हैं जहॉ नारियल, ,प्रसाद, ,पुष्प-माला ,साहित्य आदि पूजा की सामग्री मिलती हैं। मंदिर में नारियल छोलने की भी विशेष व्यवस्था हैं।दर्शन कतार में लगाने से आराम से हो जाते हैं। बहुत से लोग घर से नगे पैर पैदल आते हैं। मुंबई महानगर एवं आर्थिक राजधानी होने से सभी भागो से रेल,हवाई एवं सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ हैं। ठहरने के लिए काफी होटल एवं गेस्ट हाउस बने हुए हैं। GANPATI PUJA
6 माता वैष्णोदेवी मंदिर-
माता वैष्णोदेवी का मंदिर जम्मू राज्य में कटरा में त्रिकुटा पहाड़ी पर बना हुआ हैं । दर्शनाथियों की संख्या तिरुमला तिरुपति मंदिर के बाद दर्शन में दूसरे स्थान माता वैष्णवदेवी का आता हैं। यहाँ माता पहाड़ी गुफा बैठी हुई हैं। गुफा में रखे तीन पिंड हैं।कहते हैं की माता के पीछे भैरव राक्षस पड़ गया था। माता इससे बचने के लिये इस पहाड़ी पर नो महीनो तक छिपी रही इसे अर्ध कुआरी नाम से जाना जाता हैं । भैरव यहाँ भी आ गया। यहाँ माता ने भैरव का सिर पर हथियार से वार किया तो सिर कट कर दूर जा गिरा यहाँ वर्ष भर भारी भीड़ रहती हैं। जम्मू से कटरा 47 KM हैं। पहले ट्रेन जम्मू तक जाती थी अब रेल मार्ग बन जाने से ट्रेन कटरा तक जाती हैं। कटरा से माता वैष्णवदेवी मदिर तक 15 KM चढ़ाई हैं। यह यात्रा पैदल,पालकी ,घोड़ो अथवा हेलीकॉप्टर द्वारा करनी होगी। अब पैदल यात्रियों के लिए 4 KM तक ऑटो जाने लगे हैं।ऐसा माना जाता हैं कि जब माता का बुलावा आता हैं तो आप माता के मंदिर में पहुंच जाते ही। जिस स्थान पर माता बैठी हुई हैं उसे भवन कहते हैं। कटरा से माता के मंदिर तक खाने पिने की दुकाने बनी हुई हैं। 5200 मीटर चढ़ाई चढ़ना हैं। बीच में बाथिंग घाट एवं गीता भवन आएंगे। रास्ते में जहाँ माता के चरण पड़े यह स्थान चरणपादुका मंदिर हैं। अर्द्धकुमारी गुफा में माता ने नो माह रहकर तपस्या की थी इसे गर्भजून गुफा कहते हैं । यहाँ समय लगता हैं। भवन में दर्शन करने जाये। यहाँ बाद में समय हो तो जावे। भवन में मोबाईल बेग आदि नहीं ले जा सकते हैं इन्हें क्लॉक रूम में जमा कर रसीद ले ले।नये बने भवन में माता को तीन पिंडो के दर्शन करे। दिसम्बर -जनवरी में यहाँ बर्फ गिरती हैं इस समय न जावे। अंत में भैरव मदिर जाये। भैरव ने मरते समय माता से क्षमा याचना की थी। माता ने वरदान दिया था की लोग तुम्हारे भी दर्शन करेंगे। 1.5 KM दूर भेरो बाबा का मंदिर हैं। भेरो घाटी चढ़कर यहाँ दर्शन करे। Rented Accommodations
7 सोमनाथ मंदिर-
सोमनाथ हिन्दू मंदिर हैं इसकी गिनती प्रथम ज्योतिलिंगो में हैं। Link
मदुराई शिव पार्वती मदिर हैं। Link
8 -गुरुवायुर मदिर(Guruvayur Temple) केरला-
भारत के दक्षिण केरल में भगवान श्री कृष्ण का मंदिर काफी प्रसिद्ध एवं धनवान हैं।गुरुवायुर की कोचीन से दुरी 92 KM एवं चित्तूर से दूरी 95 KM हैं। कहा जाता हैं कि द्वारका नगरी जब डूब रही थी तब श्री कृष्ण ने देव गुरु बृहस्पति को यह सन्देश भजा के उनके कुल देवता की प्रतिमा जिनकी पूजा उनके माता-पिता करते रहे हैं। उसे डूबने से बचा लिया जाये। समाचार पाते ही बृहस्पतिजी द्वारका गए किन्तु तब तक नगर के साथ वह प्रतिमा भी समुन्द्र में समा गई। बृहस्पतिजी ने योगबल से उस प्रतिमा को समुन्द्र से बहार निकला। इसी सुन्दर मूर्ति को दक्षिण में जहा शिव-पार्वती जल विहार को आया करते थे। बृहस्पतिजी ने इनसे प्रार्थना की और उनकी आज्ञा मिलने पर उस देव प्रतिमा को बृहस्पतिजी एवं वासुदेवजी ने वहा स्थापित किया। गुरु बृहस्पतिजी द्वारा स्थापित इस स्थान नाम गुरुवायुर पड़ा। यह माना जाता हैं कि इस मंदिर का निर्माण स्वयं विश्वकर्माजी ने किया। बाद में यह मंदिर गिर गया। कई वर्षो बाद इस स्थान के सम्राट को किसी पंडित ने बताया की आपकी मृत्यु सांप काटने से अमुख दिन हो जाएगी। इससे सम्राट चिंतित हो उठे एवं अब अंत समय आ गया अब तीर्थो में जा कर पूजा अर्चना करे। इसी समय सम्राट का ध्यान जंगल में बने उस गिरे पड़े मंदिर की और गया। सम्राट ने बड़ी श्रद्धा से उस मंदिर का पुनःनिर्माण करवाया। सम्राट की मृत्यु का समय निकल गया। सम्राट ने पंडितजी को बुलाया और कहा आपकी भविष्यवाणी तो गलत हो गई तब पंडितजी ने सम्राट के पैर पर सांप काटने का चिन्ह दिखा कर कहा की आप मदिर तपस्या में इस कदर लीन थे कि आपको सांप काटने का पता ही न लगा। महादेव की कृपा से सम्राट बच गए तभी से इस मंदिर की महिमा बढ़ गई और भक्त आने लगे। उस समय केआदि शकराचार्य ने यहाँ पूजा अर्चना की एवं गुरुवार को विशेष पूजा का आयोजन होने लगा। इस क्षेत्र में नारियल बहुत होने से मंदिर में नारियल चढ़ाये जाते हैं। इसकी भी एक कहानी हैं की जब एक किसान अपने खेत की फसल नारियल ले कर मंदिर जा रहा था तो डाकू ने नारियल लूट लिए तब किसान ने डाकू से गुरुवायुर मदिर में नारियल चढ़ाने की बात कही इसपर डाकू ने कहा की क्या इन नारियल पर सींग हैं तुम दूसरे चढ़ा देना तब उन नारियलों के सींग निकल आये। डाकू ने डर कर नारियल छोड़ दिये। वे नारियल आज भी मंदिर में रखे हैं।
9 -काशी विश्वनाथ मंदिर-
वाराणसी में भगवान शिव का मंदिर हैं। यहाँ हजारो यात्री रोज दर्शन को आते हैं। Link
10 - मीनाक्षी मंदिर -
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