धनतेरस एवं दीपावली पूजन :-पूरे भारत में दीपावली का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता हैं। दीपावली का यह त्यौहार कार्तिक माह की 
अमावस्या को मनाया जाता हैं। दीपावली का पूजन प्रदोष काल का समय उत्तम माना गया हैं। 2018 में प्रदोष काल 7 नवंबर , समय 5:30 से 8:11 तक हैं। अमावस्या तिथि 6 नवंबर 2018 मंगलवार को शुरू होगी और 7 नवंबर 2018 बुधवार के दिन समाप्त होगी।लक्ष्मी जी की पूजा का शुभ समय 17:57 मिनट से 19:53 मिनट हैं।
धनतेरस तिथि -5 नवंबर ,दीपावली तिथि- 7 नवंबर ,गोवर्धनपूजा तिथि 8 नवंबर, भाईदूज 9 नवंबर को हैं।
धनतेरस की पूजा विधि -दीपावली का त्यौहार धनतेरस से शुरू होकर पांच दिन तक चलता हैं
दिवाली पूजन विधि - दीवाली के दिन माँ लक्ष्मी जी की पूजा का विशेष महत्त्व बताया गया हैं। इस दिन शाम के समय और रात्रि शुभ मुहूर्त में माँ लक्ष्मी जी ,भगवान गणेश और माता सरस्वती की पूजा की जाती हैं। ऐसा माना जाता हैं की कार्तिक अमावस्या की अंधेरी रात में माँ लक्ष्मी स्वयं धरती पर आती हैं। इसलिए दीपावली के दिन घर को साफ सुथरा और प्रकाशवान रखना चाहिए। धन के अधिपति भगवान कुबेर की पूजा भी की जाती हैं। मुख्य द्वार पर रंगोली बनाये। पूजा स्थल पर बाजोट(चौकी ) पर लाल कपडा बिछा कर लक्ष्मी गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करे। पूरे घर में गंगा जल छिड़क कर पूरे घर की शुद्धि करनी चाहिए। पूरे घर को दियो से सजाना चाहिए। प्रतिमा के पास जल से भरा एक कलश रखना चाहिए। सबसे पहले माता लक्ष्मी और गणेश जी को तिलक लगाकर धूप दिप जलाना चाहिए। पूजा में इस्तेमाल होने वाली सभी चीजे माता लक्ष्मी को अर्पित करनी चाहिए। माता लक्ष्मी के साथ देवी सरस्वती माँ काली ,भगवान विष्णु और कुबेर की भी विधिवत पूजा करनी चाहिए। इस की पूजा के बाद तिजोरी और बहीखाते की पूजा करना बेहद शुभ होता हैं।
गोवर्धन पूजा -इसे अनकूट पूजा भी कहा जाता हैं।
भाई दूज की कहानी -
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